बेटे की मौत के बाद बहू की दूसरी शादीः सारंगढ़ में ससुर ने निभाई पिता की जिम्मेदारी;
साहू समाज में विधवा-विवाह को मिली सामाजिक स्वीकृति

बेटे की मौत के बाद बहू की दूसरी शादीः सारंगढ़ में ससुर ने निभाई पिता की जिम्मेदारी;
साहू समाज में विधवा-विवाह को मिली सामाजिक स्वीकृति
सारंगढ़-बिलाईगढ़
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के भटगांव में साहू समाज ने रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ते हुए एक नई मिसाल कायम की है। गोपालपुर गांव में एक विधवा विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें बिर्रा निवासी सम्मे लाल साहू ने अपनी विधवा बहू बिंदू साहू की दूसरी शादी कराई।
बिंदू साहू की पहली शादी सम्मे लाल साहू के बेटे अखिलेश साहू से हुई थी अखिलेश की मौत के बाद, सम्मे लाल ने बहू को बेटी मानकर उसकी दूसरी शादी करवाने का निर्णय लिया। उन्होंने जैजैपुर निवासी दिलीप साहू से बिंदू का विवाह सभी सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न कराया।
रूढ़ीवादी परंपराओं को बताया गलत
विवाह के दौरान सम्मे लाल ने दिलीप को अपना बेचा मानते हुए दोनों को आशीर्वाद दिया। साहू समाज के जिला महासचिव सेतु प्रसाद साहू ने इस अवसर पर समाज में फैली कुरीतियों पर चर्चा की। उन्होंने विधवाओं को मांगलिक कार्यों से दूर रखने, अंतिम संस्कार में कफन के लिए कपड़ा देने और तालाब में चूड़ी उतारने जैसी परंपराओं को गलत बताया।
सामाजिक बदलाव को मिली नई राह
इस प्रगतिशील कदम की हर तरफ सराहना हो रही है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों और समाज के प्रमुख पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। यह जिले में अपनी तरह का पहला विवाह था, जिसने सामाजिक बदलाव की एक नई राह दिखाई है।
समाज के लोगों की रही उपस्थिति
वैवाहिक कार्यक्रम में मुख्य रूप से जिला साहू समाज के अध्यक्ष तोषराम साहू, पूर्व तहसील अध्यक्ष अशोक साहू, साहू समाज के पूर्व अध्यक्ष सेतराम साहू, भटगांव-सरसीवां, बिशेषर साहू पूर्व परिक्षेत्र अध्यक्ष साहू समाज, नारायण प्रसाद साहू (ग्राम अध्यक्ष), भरत साहू (सी एम ओ) धरमजयगढ,
दया राम खुराना (पूर्व सभापति रायपुर), मदनलाल पटेल (पूर्व जनपद सदस्य), दादू चन्द्रा अध्यक्ष (चन्द्रनाहू समाज), दुलरवा खूंटे जनपद सदस्य, सोनी कोयल पूर्व जनपद सदस्य, डी आर टण्डन पत्रकार, बंशीलाल रात्रे, फिरतू यादव, डोल कुमार जायसवाल, डॉ टेकलाल साहू, सम्मेलाल साहू सहित बिर्रा और जैजैपुर अंचल के लोग मौजूद थे।