सारंगढ़-बिलाईगढ़

नगर पंचायत बिलाईगढ़ में प्रशासनिक अराजकता चरम सीमा पर

25 लाख 97 हजार की राशि के दुरुपयोग का आरोप, पारदर्शिता पूरी तरह ध्वस्त — वार्डवासी और जनप्रतिनिधि भड़के

**नगर पंचायत बिलाईगढ़ में प्रशासनिक अराजकता चरम सीमा पर**
*25 लाख 97 हजार की राशि के दुरुपयोग का आरोप, पारदर्शिता पूरी तरह ध्वस्त — वार्डवासी और जनप्रतिनिधि भड़के*

सारंगढ खबर न्यूज,सारंगढ/बिलाईगढ़———-नगर पंचायत बिलाईगढ़ इन दिनों भारी प्रशासनिक उथल-पुथल, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का केंद्र बना हुआ है। विकास कार्यों में पारदर्शिता शून्य हो चुकी है, वहीं पंचायत निधि के दुरुपयोग और फर्जी कार्यों के आरोपों ने पूरे नगर को सकते में डाल दिया है। वार्डवासियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक, हर कोई नगर पंचायत की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठा रहा है।

स्व-सहायता समूहों के नाम पर करोड़ों का खेल?

सबसे बड़ा खुलासा नगर पंचायत कार्यालय द्वारा 8 दिसंबर 2025 को जारी पत्र क्रमांक Q/न.पं./2025–26 से हुआ, जिसमें विभिन्न महिला स्व-सहायता समूहों के नाम पर किए गए भुगतान का विवरण दर्ज है। चौंकाने वाली बात यह है कि—

जिन महिला समूहों के नाम पर लाखों के कार्य दर्शाए गए हैं, उनके द्वारा नगर के किसी भी वार्ड में कोई कार्य ही नहीं कराया गया है।

वार्डवासियों ने भी साफ कहा कि न तो कोई कार्य हुआ और न ही कोई जानकारी दी गई।

इसके बावजूद कुल ₹25,97,744 की राशि पार्षद अनुशंसाओं के नाम पर निकाल ली गई।

किस समूह को कितनी राशि दी गई—आंकड़े पढ़कर वार्डवासी दंग

आरोहन स्व सहायता समूह — ₹8,59,200

(वार्ड 01, 05, 14)

माया स्व सहायता समूह — ₹5,79,660

(वार्ड 06, 02)

जाहन्वी स्व सहायता समूह — ₹5,79,224

(वार्ड 03, 10)

जय मां समलाई स्व सहायता समूह — ₹5,79,660

(वार्ड 11, 04)

कुल भुगतान : ₹25,97,744

स्थानीय लोगों का आरोप है कि बिना एक इंच काम कराए यह राशि जारी कर दी गई। यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि एक संगठित तरीके से की जा रही धन की बंदरबांट का मामला प्रतीत हो रहा है।

सीएमओ सुशील चौधरी पर गंभीर आरोप — “नगर में तानाशाही चल रही है”

नगर पंचायत के मुख्य नगरपालिका अधिकारी (सीएमओ) सुशील चौधरी पर भी गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। जनप्रतिनिधियों का कहना है—

सीएमओ एकतरफा निर्णय ले रहे हैं, कार्यों की जानकारी अध्यक्ष को भी नहीं दी जा रही।

निधि के उपयोग से लेकर विकास कार्यों तक, हर गतिविधि पर सीएमओ की मनमानी हावी है।

स्व-सहायता समूहों के नाम पर जारी की गई करोड़ों की राशि के पीछे भी सीएमओ की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।

नगर के लगभग सभी विकास कार्य ठप्प पड़े हैं, जिससे जनता में बर्फ़ जैसा असंतोष जमा हो चुका है।

वार्डवासियों ने कहा कि “नगर पंचायत में लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली नहीं, बल्कि तानाशाही चल रही है। न जनप्रतिनिधियों को पूछा जा रहा है, न जनता को जानकारी दी जा रही है।”

भ्रष्टाचार, गुटबाजी और अव्यवस्था—बिलाईगढ़ का प्रशासनिक ढांचा चरमराया

वर्तमान स्थिति ने नगर पंचायत की विश्वसनीयता को गहरा आघात पहुंचाया है।

निधि के गलत उपयोग के आरोप,

फर्जी कार्यों का खेल,

पार्षदों के नाम पर भारी-भरकम राशि का आहरण,

सीएमओ की कथित मनमानी,

जनप्रतिनिधियों को जानकारी से वंचित रखना—

इन सभी ने मिलकर बिलाईगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था को पूरी तरह अव्यवस्थित कर दिया है।

**जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग**

वार्डवासियों, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों ने जिला एवं नगरीय प्रशासन से इस पूरे मामले की तत्काल, निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। लोगों का कहना है कि—वास्तविक स्थिति की जांच हो, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो,
नगर पंचायत में पारदर्शिता बहाल की जाए, विकास कार्यों को फिर से गति दी जाए, यदि समय रहते प्रशासन ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह मामला बड़े स्तर पर फैल सकता है और नगर पंचायत पर जनता का भरोसा पूरी तरह खत्म हो सकता है।

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